Wednesday, August 10, 2011

प्रार्थना


हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दे
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दे

तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया

चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो

मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्रं भक्ति दीजिये 

तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को  समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ

जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ 
ऐसी  कृपा  कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ

काब्य प्रस्तुति :   
मदन मोहन सक्सेना

 


2 comments:

  1. जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
    ऐसी कृपा कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ ....

    ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई

    ReplyDelete
  2. मदन जी बेहतरीन प्रस्तुति, सुन्दर भाव, उम्दा पंक्तियाँ
    मान मोहा लिया आप की इन पंक्तियों ने ....

    चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
    प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो

    मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
    मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्रं भक्ति दीजिये

    ReplyDelete