Wednesday, May 23, 2012

मुक्तक






रोता  नहीं है कोई भी किसी और  के लिए
सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं

प्यार की दौलत को कभी छोटा न समझना तुम
होते है बदनसीब ,जो पाकर इसे खोते हैं  


मुक्तक प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना