Friday, June 1, 2012

गीत




अपना दिल कभी था जो, हुआ है आज बेगाना
आकर के यूँ चुपके से, मेरे दिल में जगह पाना 
दुनियां में तो अक्सर ही ,सभल कर लोग गिर जाते 
मगर उनकी ये आदत है की  गिरकर भी सभल जाना

आकर पास मेरे फिर धीरे से यूँ मुस्काना
पाकर पास मुझको फिर धीरे धीरे शरमाना
देखा तो मिली नजरें फिर नजरो का झुका जाना 
ये उनकी ही अदाए  है  मुश्किल है कहीं पाना

जो बाते रहती दिल में है ,जुबां पर भी नहीं लाना
बो लम्बी झुल्फ रेशम सी और नागिन सा लहर खाना
बो नीली झील सी आँखों में दुनियां का  नजर आना
बताओ तुम दे दू क्या ,अपनी नजरो को मैं नज़राना




काब्य प्रस्तुति :   
मदन मोहन सक्सेना
   

1 comment:

  1. जो बाते रहती दिल में है ,जुबां पर भी नहीं लाना
    बो लम्बी झुल्फ रेशम सी और नागिन सा लहर खाना
    सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में

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