Thursday, July 19, 2012

मुक्तक




बो जानेमन जो मेरे है बो मेरे मन ओ ना जाने
अदाओं की तो उनके हम हो चुके  है दीवाने 

बो जानेमन जो मेरे है बह दिल में यूँ समा जा
इनायत मेरे रब  करना   न उनसे  दूर हो पायें




मुक्तक प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना 

1 comment:

  1. वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है. बधाई आपको

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