मैं , लेखनी और ज़िन्दगी
Writer and Poet. Play with words to express feelings.
Wednesday, August 8, 2012
मुक्तक
रूठ कर ना जा मेरा दिल तोड़ने बाले
पराया जानकार हमको अकेला छोड़ने बाले
मासूम सी ख़ता पर नाराज हो गए
इजहार राज ऐ दिल पर ही आबाज हो गए
मुक्तक प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)