Monday, September 3, 2012

तमन्ना (मुक्तक)






दिल में जो तमन्ना है जुबां से हम न कह पाते 
नजरो से हम कहतें हैं अपने दिल की सब बातें 
मुश्किल अपनी ये है की   समझ बह कुछ नहीं पातें
पिघल कर मोम हो जाता यदि पत्थर को समझाते  



मुक्तक प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना 

1 comment:

  1. वाह....
    क्या कहने ...
    बहुत बेहतरीन लिखा है सर जी..
    कमाल का...
    :-)

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