Monday, November 19, 2012

बस्ती




खुशबुओं  की   बस्ती में  रहता  प्यार  मेरा  है 
आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है 
उनकी सूरत का आँखों में हर पल हुआ यूँ बसेरा है
अब काली काली रातो में मुझको दीखता नहीं अँधेरा है  

जब जब देखा हमने दिल को ,ये लगता नहीं मेरा है 
प्यार पाया जब से उनका हमने ,लगता हर पल ही सुनहरा है 
प्यार तो है  सबसे परे ,ना उसका कोई चेहरा है
रहमते उदा की जिस पर सर उसके बंधे सेहरा है

प्यार ने तो जीबन में ,हर पल खुशियों को बिखेरा है
ना जाने ये मदन ,फिर क्यों लगे प्यार पे  पहरा है


काब्य प्रस्तुति :   
मदन मोहन सक्सेना

8 comments:

  1. prem iswr ki sbse anupam krtiyo mese ek...ji apne sabdo ki dori se is kavya mala ko khub sajaya h.

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रेममयी रचना है मदन जी..
    बहुत बढ़ियाँ...
    :-)

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    1. नमन , आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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  3. खुशबुओं की बस्ती में रहता प्यार मेरा है
    आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है
    उनकी सूरत का आँखों में हर पल हुआ यूँ बसेरा है
    अब काली काली रातो में मुझको दीखता नहीं अँधेरा है (खुश्बुओं /खुश्बू ,बहु वचन में ऊकारंत का उकारांत हो जाता है .,रातों आयेगा रातो के

    स्थान पर ,सपनों ने लिखें )

    रचना आपकी भाव सौन्दर्य से संसिक्त खूब सूरत अंदाज़ लिए है प्रेम के रंग लिए है .

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    1. श्रद्धेय वर , नमन , आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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    1. श्रद्धेय वर , नमन , आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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