Tuesday, December 11, 2012

ये खेल जिंदगी






किसी के खो गए अपने किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।


दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।


उम्र बीती और ढोया है सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी।


जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।


किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
मदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

16 comments:

  1. अनायास मिली है जिंदगी
    जो बोयेंगे वही मिलेगा !

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  2. जो बोयेंगे वही काटेंगे...
    बहुत बढियां गजल.....
    :-)

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    1. प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार

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  3. काटने और बोने का ये खेल जिंदगी...खूब कही...

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    1. आप का बहुत शुक्रिया होंसला अफजाई के लिए

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    1. आपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

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  5. वाह.. सत्य लिखा है ज़िन्दगी के बारे में.. बोने-काटने का खेल.. बहुत खूब!

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    1. आपकी प्यार भरी, उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

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  6. वाह जीवन का सत्य है इन शेरों में .. बहुत खूब ...

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    1. श्रद्धेय वर ; नमन !…… आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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  7. जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
    खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।

    इससे सुंदर सन्देश हो ही नहीं सकता. बहुत सुंदर अर्थपूर्ण प्रस्तुति.

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    1. आपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

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  8. सुंदर रचना।।।

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    1. प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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