मैं , लेखनी और ज़िन्दगी
Writer and Poet. Play with words to express feelings.
Friday, September 7, 2012
मुक्तक
ख़यालों में बो मेरे आते भी हैं
रातो को नीदें चुराते भी हैं
कहतें नहीं राज दिल का बह हमसे
चोरी से नजरे मिलातें भी हैं
मुक्तक प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)