Thursday, January 17, 2013

बोल




उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..

जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें  ..

जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..

अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
 मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी  के यार होलेंगें ..

जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना 
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..
 



मदन मोहन सक्सेना

8 comments:

  1. बढ़िया है भाई जी |
    आभार ||

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  2. अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
    मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..

    ...बहुत खूब!

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  3. जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ...अच्छी रचना है .जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ...अच्छी रचना है .शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का .

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  4. अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
    मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार हो लेंगें ...

    प्यार जीवन हो जाए ... यार अपना हो जाए तो फिर बात ही क्या ....

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  5. वाह ...(एक बोल मेरा भी )

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