Thursday, January 3, 2013

सच्चा प्यार





बोलेंगे  जो  भी  हमसे  बो ,हम ऐतवार कर  लेगें
जो कुछ  भी उनको प्यारा  है ,हम उनसे प्यार कर  लेगें

बो  मेरे   पास  आयेंगे   ये  सुनकर  के   ही  सपनो  में
क़यामत  से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको
गर  अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें



मदन मोहन सक्सेना

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया ||
    बधाई-

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  2. सुन्‍दर गहरे भाव हैं। शुभकामनाएं।

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  3. perhaps i read u 1st time...
    हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको
    गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें
    bahut khub bhai ..

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  4. परस्पर प्रतिबद्ध समर्पित प्रेम की कथा है यह रचना सीढ़ी सच्ची सरल .

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  5. सच्चे प्यार को सहज भाव से ही समझा जा सकता है |
    आशा

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  6. बस प्यार ही प्यार की भाषा समझ आ रही है यहाँ तो

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