Monday, March 25, 2013

होली है


















होली है



तन से तन मिला लो अब मन से मन भी मिल जाये  
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है 


ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज 
यारों कब मिले मौका  अब  छोड़ों ना कि होली है. 

मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है 
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है 

क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो 
दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है 

प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं 
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है 

ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे 
गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी  आज होली है   


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 






Thursday, March 14, 2013

नजरिया


















नजरिया

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है .

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है  ..

चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है ...

किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम
 जरुरत पर सभी का जब हुलिया बदल जाता है ....

दिल भी यार पागल है ना जाने दीन दुनिया को
किसी पत्थर की मूरत पर अक्सर मचल जाता है .....

क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
जितना दर्द मिलता है ये उतना संभल जाता है ......



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

Thursday, March 7, 2013

चार पल











चार पल

कभी गर्दिशों  से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे  कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय  पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

इस कदर  अन्जान हैं  हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ

ढल नहीं जाते हैं  लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना  

Friday, March 1, 2013

मुक्तक (अपना हाल)

 
 
अपना हाल

अपना हाल ऐसा है की हम जाने और दिल जाने
पल भर भी बो ओझल हो तो देता दिल हमें ताने
रह करके सदा   उनका  हमें जीना  हमें मरना 
गुजारिश  है खुदा  से  अब ,  हमको  न  जुदा  करना 

प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना