Thursday, October 10, 2013

सोच पर तरस















सोच पर तरस

तरस आता है
मुझे उन लोगों की सोच पर
जो लोग आंतकबादी की पहचान भी धर्म से करने लगते हैं
और
संतों के दुराचरण में भी
हिन्दू धर्म और सनातन धर्म को बीच में ले आते हैं
धर्म लोगों को
आपस में मिलजुल कर रहने की सीख देता है
आतंक ,यौनाचार
करने बाला सिर्फ
मानबता का अपराधी है
उसका कोई धर्म नहीं होता है


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 12/10/2013 को त्यौहार और खुशियों पर सभी का हक़ है.. ( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 023)
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  2. आपकी बात सही है पपरन्तु यही दुराचारी धर्मका आड़ लेकर दुराचार करते है इसीलिए धर्म बीच में आ जाता है | आश्रम ने जो किया धर्म को ढल बनाकर किया है | बड़े बड़े धर्म गुर्रुओं पर भी ऐसे आरोप लगते रहे है |
    लेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा

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  3. बिलकुल सही भाई मानसिकता बदल जाए तो आनंद और आये

    भ्रमर ५
    प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच

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