Tuesday, November 25, 2014

पाने की लिये ख़्वाहिश





पाने की लिये ख़्वाहिश जब बाज़ार जाता हूँ
लुटने का अजब एहसास  दिल मायूस कर देता

मदन मोहन सक्सेना

1 comment:

  1. तुम अच्छे हो कह देने से कितने अच्छे पता न चलता पैमाने छोटे पड़ते हैं तुम न होते पता न चलता

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