Tuesday, November 17, 2015
Sunday, November 8, 2015
दीपों का त्यौहार
मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..
मुझको जो भी मिलना हो ,बह तुमको ही मिले दौलत
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत
सदा मिलती रहे शोहरत ,रोशन नाम तेरा हो
ग़मों का न तो साया हो, निशा में न अँधेरा हो
दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक ,अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है ,उसे हम दूर कर देंगें
मिटा कर के अंधेरों को, दिलों में प्रेम भर देंगें
मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा ये बतन होगा
धरा अपनी ,गगन अपना, जो बासी बो भी अपने हैं
हकीकत में बे बदलेंगें ,दिलों में जो भी सपने हैं
दीपों का त्यौहार
मदन मोहन सक्सेना
Monday, November 2, 2015
नीली झील सी आँखों में दुनियाँ का नजर आना
आकर के यूँ चुपके से, मेरे दिल में जगह पाना
दुनियाँ में तो अक्सर ही ,संभल कर लोग गिर जाते
मगर उनकी ये आदत है कि गिरकर भी सभल जाना
आकर पास मेरे फिर धीरे से यूँ मुस्काना
पाकर पास मुझको फिर धीरे धीरे शरमाना
देखा तो मिली नजरें फिर नज़रों का झुका जाना
ये उनकी ही अदाए हैं ये मुश्किल है कहीं पाना
जो वातें रहती दिल में है ,जुबां पर भी नहीं लाना
वो लम्बी झुल्फ रेशम सी और नागिन सा लहर खाना
वो नीली झील सी आँखों में दुनियाँ का नजर आना
बताओ तुम कि दे दूँ क्या ,अपनी नजरो को मैं नज़राना ……।
काब्य प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
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