Monday, July 15, 2013

साला मैं तो साहब बन गया

अणु भारती में पूर्ब  प्रकाशित मेरा ब्यंग्य :







साला मैं तो साहब बन गया :

मदन मोहन सक्सेना .

Wednesday, July 10, 2013

स्वार्थ



















स्वार्थ



प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम
दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है प्यार से

दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर
दोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल से

बँट  गयी सारी जमी फिर बँट गया ये आसमान
अब खुदा बँटने  लगा है इस तरह की तूल से

सेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर में
स्वार्थ की तालीम अब मिलने लगी स्कूल से

आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से

चार पल की जिंदगी में चंद  सासों  का सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

Thursday, June 27, 2013

त्रासदी

















त्रासदी



धर्म निर्पेक्षता का नारा बुलंद करने बाले
आम आदमी का नाम लेने बाले
किसान पुत्र नेता
दलित की बेटी 
सदी के महा नायक 
क्रिकेट के भगबान
सत्यमेब जयते की घोष करने बाले
घूम घूम कर चैरिटी करने बाले सेलुलर सितारें 
अरबों खरबों का ब्यापार करने बाले घराने 
त्रासदी के इस समय में 
पीड़ित लोगों को नजर
क्यों नहीं आ रहे .


मदन मोहन सक्सेना

Thursday, June 20, 2013

कुदरत का कहर

पहले का मंदिर का चित्र




फिर एक बार कुदरत का कहर 
फिर एक बार मीडिया में शोर 
फिर एक बार नेताओं का हवाई दौरा 
फिर एक बार दानबीरों की कर्मठता 
 फिर एक बार प्रशाशन का  कुम्भकर्णी नींद से जागना
फिर एक बार 
मन में कौंधता
अनुत्तरित प्रश्न 
आखिर ये कब तक 
हम चेतेंगें भी या नहीं 
आखिर 
जल जंगल जमीन की अहमियत कब जानेगें?




अभी का मंदिर का चित्र


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Wednesday, June 12, 2013

जरुरत


 














हुयी है आज बारिश और  तन मन को भिगोती है
सर्दी हो या गर्मी हो किस्मत आज रोती  है
किस्मत बनाने बाले .क्या नहीं तेरे खजाने में
देता क्यों उनको है ,जरुरत जिनको नहीं होती है 



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

Friday, June 7, 2013

बिनती


 

















सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्
शान्तिः शान्तिः शान्तिः

**************************************************
उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में
प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हर तुम्हारें हाथों में

मुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो
मैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में

तुम दीनबंधु दुखहर्ता हो तुम जग के पालन करता हो
इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में

मेरे तन मन के तुम स्वामी हो भगवन तुम अंतर्यामी हो
मेरे जीवन की इस नौका का प्रभु भर तुम्हारे हाथों में

तुम भक्तों के रखबाले हो दुःख दर्द मिटने बाले हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में



मदन मोहन सक्सेना

Monday, May 20, 2013

मेरी पोस्ट कोशिश जागरण जंक्शन पर




















मेरी पोस्ट कोशिश जागरण जंक्शन पर



प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्न्ता हो रही है की मेरी पोस्ट कोशिश जागरण जंक्शन पर छपी है.
पोस्ट पर आप की प्रतिक्रिया अबश्य दें .

http://madansbarc.jagranjunction.com/?p=441


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Thanks!
JagranJunction Team

Friday, May 10, 2013

जिंदगी

















जिंदगी


दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।

जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।

किसी के खो गए अपने, किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।

उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का है खेल जिंदगी।

किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत
मदन बोले , काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।
 


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Monday, April 29, 2013

राज ए दिल















 




राज ए दिल


उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..

जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें ..

जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..

अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..

जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Monday, April 22, 2013

एक प्रश्न चिन्ह ?
















बेख़ौफ़ दरिन्दे
कुचलती मासूमियत
शर्मशार इंसानियत
सम्बेदन हीनता की पराकाष्टा .
उग्र और बेचैन अभिभाबक
एक प्रश्न चिन्ह ?
हम सबके लिये. 



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना